प्रतिबिंब

कभी कभी सोचती हूँ, मैं भी तुम जैसी हो जाऊँ… तुम्हारा प्रतिरूप ना सही, तुम्हारा प्रतिबिंब ही बन जाऊँ… निर्मोही तुम सी ना सही, तन्हा रास्तों पर चलना सीख जाऊँ, जब भी तड़फ़ उठे दिल…