द्वंद

विचारों और मान्यताओं के द्वंद में उलझे, उस एक ही की तलाश में सब चले जा रहे हैं, कभी मन में, आत्मा के मंथन में, तो कभी मंदिर में, उस एक ही की पूजा किए…

तलाश

अपनो की दुनिया में, अंजान से रास्तों पे.. मंज़िल की तरफ बढ़ता मैं… अनचाही परिस्थियों से, लड़ता, उलझता.. सवालों के घेरे में, कटघरे में खड़ा मैं… समय से पहले… अपने जीवन की परिभाषा को समझता…..