बाग़ी
ज़िंदगी की कश्मकश में थोड़ा और उलझना चाहती हूँ, भीड़ का हिस्सा बनने से पहले, मैं बाग़ी होना चाहती हूँ, सब पा लिया हो जिस ज़िंदगी में उसका फलसफा ही क्या होगा, मैं सब कुछ…
ज़िंदगी की कश्मकश में थोड़ा और उलझना चाहती हूँ, भीड़ का हिस्सा बनने से पहले, मैं बाग़ी होना चाहती हूँ, सब पा लिया हो जिस ज़िंदगी में उसका फलसफा ही क्या होगा, मैं सब कुछ…