संघर्षों के भंवर में,
सपनो की झुलसती कहानी की साक्षी,
अरमानो की खुली पोटली से,
खुशियों के गायब हो जाने की साक्षी,
कभी सिसकती, कभी सहमती,
कुछ बेचैन सी साँसों की साक्षी,
मद्धम होती सूरज की किरनो की,
और तन्हाई में तड़फती चाहतों की साक्षी,
कुछ धीमे से पनपते हुए,
ज़िंदगी के क़िस्सो की साक्षी,
जो हमेशा तत्पर रहा अपने पथ पर,
उस परिवर्तन की साक्षी!
कुछ कहती हुई हवाओं की,
ज़ीवन के रस घोलती हुई फ़िज़ाओं की,,
अपने में सीमित रहे कुछ जज्बातों की,
और सपनो में ही मिलने वाली चाहत की,
कुछ संभलती, कुछ बिखरती,
अपनी ही ज़िंदगी के हर तूफान की साक्षी,
ज़िंदगी भर साथ निभाने के झूठे वादों की,
पल भर में छोड़ कर जाने वाले मुसाफिरों की,
जो कहते थे हमे परवाह है तुम्हारी,
उन सबके जीवन से चले जाने की साक्षी.
चंद लम्हों की होशियारी,
कुछ खोने और कुछ पा जाने की तैयारी,
अपने आप को तबाही के मंज़र में सम्भाले,
सब कुछ समंदर संग बह जाने की साक्षी,
जो पल भर में जी को सुकून दे जाता था,
उस एहसास में एक लंबा अरसा जी लेने के बाद,
अंजाने में महसूस किए,
उस एक तरफ़ा प्यार की साक्षी,
जो कभी मेरा था ही नहीं,
उस अंजान से चेहरे में,
अपना सब कुछ खो देने की साक्षी,
अपनी ही सोच में,
अपने ही जीवन में,
अनेक रंगों से सजे,
असीम अंधेरे की साक्षी,
प्रकाश से सीँचे हुए सपनो की,
और अपनी सांसो में बहते हुए,
अपरिमित उस विश्वाश की साक्षी,
जिसे कभी देखा ही नहीं,
उसी में मिल जाने की आस लिए,
अपने अस्तित्व में उसे पा जाने की साक्षी,
जो जीवन मेरा था ही नहीं,
उसी के अंजाने सफ़र पर चलते,
अंजान कदमों की आहट से परेशान,
खुद को खो देने की उम्मीद लगाए,
परम प्रकाश से मिल जाने की साक्षी,
जो परिवर्तन होना ही है एक दिन,
उसी की चाहत लिए,
उसी में गुम हो जाने की साक्षी!
संघर्षों के भंवर में,
सपनो की झुलसती कहानी की साक्षी,
अरमानो की खुली पोटली से,
खुशियों के गायब हो जाने की साक्षी,
कभी सिसकती, कभी सहमती,
कुछ बेचैन सी साँसों की साक्षी..!