बाबुल

बाबुल

बाबुल

तुम्हारे पहलू में बैठकर

एक ज़िंदगी और जी लेने को मन करता है..

तुम्हारे घर की दहलीज़ को छोड़ने से पहले,

इस आँगन में फिर से खेलने को मन करता है..

माँ की लोरियाँ और तुम्हारी कहानिया सुन कर,

कुछ रातें और सुकून से सो लेने का मन करता है..

बोझल से होते इन रास्तों से पहले,

नन्हे कदमो से तुम्हारी ओर चलने का मन करता है,

सपनो का जहान बसने से पहले,

अपनो संग हँसने का मन करता है..

तितलियों संग खेतों में कुछ कदम भागकर,

थकते हुए कदमो से,

तुम्हारे कंधे पर बैठकर,

उड़ने का मन करता है..

एक नयी दुनियाँ सजाने से पहले,

इस जहान को तुम्हारी नज़रों से देखने का मन करता है..

धुँधले से अरमानो को समेटने से पहले,

ज़ीवन को करीब से समझने से पहले,

ज़िंदगी की इस कशमकश से छुपकर,

बस तुम्हारे सपनो को सच करने का मन करता है..

तुम्हारे हौंसलों के पंख लगाकर,

खुले आकाश में उड़ने को मन करता है,

कभी गिर कर, कभी संभलकर,

तुम्हारी उंगली थामकर चलने का मन करता है..

कुछ पा जाने से पहले,

कुछ खो देने से पहले,

तुम्हारी परछाई बनकर,

तुम संग ढेर सारी बातें करने का मन करता है..

तुम्हारे सब दुख अपनाकर,

ज़ीवन का संघर्ष चुराकर,

जहान की हर खुशी तुम्हारे कदमो में रखने का मन करता है..

जिस आस्तित्व को तुमसे ही पाया,

उस पहचान को बदलने से पहले,

ज़ीवन की परिभाषा को,

तुम्हारे अपरिमित प्रेम से रंगने का मन करता है..

मेरे भविश्य की सुनहरी कीताब लिखने के लिए,

अनगिनत बलिदानो के लिए,

तुम्हारे चरनो में अपना जीवन समर्पित करने का मन करता है..

बाबुल

तुम्हारे पहलू मे बैठकर

एक ज़िंदगी और जी लेने को मन करता है..

तुम्हारे घर की दहलीज़ को छोड़ने से पहले,

इस आँगन मे फिर से खेलने को मन करता है..

माँ की लोरियाँ और तुम्हारी कहानिया सुन कर,

कुछ रातें और सुकून से सो लेने का मन करता है..!

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