कभी-कभी, बिखरकर देखो बेज़ार से होकर,
तुम जानोगे कितना साहस है तुममें,
अपने ही टुकड़े समेट लेने का…
लिखकर देखो, अपने सपनों को,
समंदर के किनारे…
रेत पर बड़े चाव से,
और फिर देखो उन लहरों को,
एक पल में सब मिटाते हुए,
तुम जानोगे, कितना संयम है तुममें,
मन के भीतर बाहर होने वाले,
द्वंद से निपटने का…
थोड़ा सहज होकर,
अपनी रूह से मिलकर,
उसका परिचय लेने का…
किसी लम्हे में खुद को आज़ाद कर दो हर एक बंधन से,
जिसे तुमने स्वयं ही अपनी मर्यादा बनाकर,
बांध रखा है अपने पैरों में,
बेड़ियों की तरह…
तुम जानोगे, कितना भरोसा है तुम्हें,
अपने भीतर छुपे…
उस नन्हे अरमान पर,
जो चाहता है पंख फैलाकर,
खुले आकाश में उड़ना…
थोड़ा रुक कर, पूछो कभी अपने ज़ेहन से,
कौन सा पल, सुकून का एहसास कराता है उसे,
वही देगा तुम्हें परिचय, तुम्हारी रूह का…
उलझ जाने दो किसी लम्हे में ज़िंदगी को,
कुछ बेपरवाह से होकर,
जैसे तुम इसे सुलझाने आए ही नहीं यहाँ,
और फिर कमजोर से धागे से जुड़े,
उन रिश्तों को टटोलो,
जिनपर ना जाने क्यों इतना नाज़ है तुम्हें,
फिर ज़रा किसी कोने में बैठकर,
बहा लो अपने दो आँसू,
अपने मन के उस बोझ को हल्का करने के लिए,
तुम्हें शायद पता मिलेगा उस मंज़िल का,
जिस तक पहुँचने का जज़्बा लिए आए हो तुम…
और फिर तुम सुलझा पाओगे,
उन सब पहेलियों को,
जो सोने नहीं देती तुम्हें,
रात भर…
पूछो ज़रा अपनी रूह से,
कौन सी धुन में,
मग्न हो जाना अच्छा लगता है उसे,
वो देगी परिचय तुम्हें,
तुम्हारे असली किरदार का,
जो निभाने आए हो तुम,
इस अनोखे से रंगमंच पर…
किसी दिन तुम जानोगे,
अपने होने की वजह,
बेतरतीब से रास्तों पर,
अकेले ही मुस्कुराकर चलने की रज़ा,
फिर जुटा पाओगे तुम हिम्मत,
लड़ने की हर मुश्किल से,
जो अनजाने से सफ़र के,
हर कटीले मोड़ पर,
खड़ी है तुम्हारा रास्ता रोककर,
तुम समझ पाओगे,
इशारा रूह का,
जब परिचय होगा तुम्हारा,
अपने अस्तित्व से…
जब जान जाओगे अपने हुनर को,
तो आसान हो जाएगा अपने सपनों को समझना,
खुद को थोड़ा और तराशना,
और कल से बेहतर एक आज बनाना…
लेकिन उस रास्ते पर जब भी चोट मिले,
तो बेझिझक होकर,
बिखरकर देखो बेज़ार से होकर,
तुम जानोगे कितना साहस है तुममें,
अपने ही टुकड़े समेट लेने का…
और फिर उठकर,
खुद को एक नए सफ़र के लिए,
तैयार करने का…
हर बार गिरकर, फिर संभलने का…
और अपनी परछाई से,
अपने परिचय को समझकर,
अपनी रूह को,
थोड़ा और सुकून के पल देने का…|||
परिचय खुद से खुद का इस एकाकी सफर में
दिल को छू लेने वाले दिल से निकले विचार